Maharajganj News : सीमापार का सस्ता कबाड़, भारत में करोड़ों का धंधा ! क्या है सच
23-Oct-2025
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निचलौल। कोतवाली ठूठीबारी थाना क्षेत्र अंतर्गत भारत-नेपाल सरहद पर इन दिनों नेपाल से स्क्रैप का धंधा तेज हो गया है। धंधेबाज नेपाल से सस्ते में स्क्रैप भारतीय सीमा में लाकर महंगे दाम पर बेच रहे हैं। सीमावर्ती इलाकों में बनी कबाड़ की दुकानों में धंधेबाज नेपाल से लाए गए स्क्रैप को पहले डंप कर देते हैं। फिर स्क्रैप कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, दिल्ली तक पहुंचा देते हैं। एक अनुमान के अनुसार यह धंधा करोड़ों में हो रहा है।
हालांकि 21 अक्तूबर को कोतवाली ठूठीबारी थाना क्षेत्र के भारत-नेपाल सरहद के पिलर संख्या 500/11 के पास से सुरक्षा एजेंसियों की टीम ने एक सूचना पर एक ट्रॉली लदा बैटरी का स्क्रैप बरामद किया था। हालांकि तस्कर वाहन छोड़ भागने में सफल रहे। टीम ने स्क्रैप लदे वाहन को कब्जे में लेकर कार्रवाई शुरू कर दी। धंधेबाज उक्त कबाड़ को सरहद पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देकर भारतीय क्षेत्र में लाने के फिराक में थे।
कस्टम विभाग के मुताबिक कबाड़ व्यवसाय के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाए हैं। हालांकि इसके लिए जीएसटी लाइसेंस होना बहुत जरूरी है। नियम के मुताबिक कबाड़ व्यवसाय के लिए लाइसेंस न होने पर कार्रवाई होनी आवश्यक हो जाती है।
सूत्रों के मुताबिक भारतीय सीमा क्षेत्र में कबाड़ के तीन धंधेबाजों के पास ही लाइसेंस है। जबकि इस धंधे में कोई रोकटोक न होने के कारण शहर से बॉर्डर तक कहीं भी कोई भी व्यक्ति आकर कबाड़ की दुकान शुरू कर दे रहा हैं। शुरू-शुरू में एक दो एजेंट रखकर कबाड़ इकट्ठा करवा कर खरीदते हैं। बाद में इनके एजेंट बढ़ जाते हैं। फिर यह धंधा बड़े पैमाने पर शुरू हो जाता है।
खास बात यह है कि धंधेबाज भारतीय क्षेत्र के साथ ही नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में भी कबाड़ की डंपिंग जोन बना रखे हैं। इन डंपिंग जोन का किसी भी जिम्मेदार के पास रिकाॅर्ड में नहीं है। ऐसे में यह धंधेबाज महज कुछ ही दिनों में प्लास्टिक कबाड़ (स्क्रैप) की तस्करी कर मोटी रकम कमाने लग रहे है।
सूत्रों की मानें तो भारत-नेपाल सरहद से सटे पुलिस चौकियों और थानों पर माल पार कराने के लिए लेवी देना पड़ता है। लेवी देने का क्रम सरहद से सटे गांव से शुरू होकर मुख्य गोदाम तक होता है। इतना ही नहीं सरहद पार करते ही पुलिस चौकियों और मार्ग में सुरक्षा के लिए तैनात होने वाले जिम्मेदारों को भी लेवी चुकाना पड़ता है। यदि माल जिले के बाहर किसी दूसरे जिले या प्रदेश ले जाना है, तो उसके लिए सरगना कई लाइनमेन की नियुक्ति करते हैं।