Maharajganj News : सावधान ! शादियों में जाइये लेकिन पनीर और मिठाई मत खाइये, ये है बड़ी वजह
10-Nov-2025
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महराजगंज। सहालग शुरू हो चुकी है और ऐसे में पनीर और खोआ की मांग बढ़ गई है। इसे देखते हुए धंधेबाजों ने अपना नेटवर्क को मजबूत कर लिया है। कानपुर व गोरखपुर से खोआ मंगाया जा रहा है।
वहीं गोरखपुर जिले का पनीर बॉर्डर तक पहुंचाया जा रहा है। सहालग की वजह से पनीर और खोआ की मांग करीब चार गुना बढ़ गई है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए धंधेबाज जुट गए हैं। दूध का उत्पादन और खपत में अंतर भी मिलावट का प्रमुख कारण है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के अनुसार, पशुपालकों द्वारा एक लाख लीटर रोजाना दूध का उत्पादन होता है। विभागीय योजनाओं से 21 डेयरी का संचालन भी होता है। अनुमान के अनुसार, शहर में रोजाना दुकानों से लेकर घरों में करीब तीन लाख लीटर दूध की खपत होती है।
मांग के हिसाब से यह घटता-बढ़ता रहता है। सहालग और अन्य विशेष अवसरों पर खपत चार लाख लीटर रोजाना पहुंच जाती है। पैक दूध का कारोबार करने वाली कंपनियां भी करीब एक लाख लीटर दूध की आपूर्ति कर रही हैं। सहालग या अन्य अवसरों पर दूध की मांग बढ़ने पर धंधेबाज पाउडर से बने दूध से उसे पूरा करते हैं।
दूध विक्रेता हरिओम कहते हैं कि घरों में गाय का दूध 50 तो भैंस का 60 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। पानी के अलावा कुछ नहीं मिलाया जाता है। रेट भी समय के हिसाब से घटता बढ़ता रहता है। अब पशु कोई रखना नहीं चाह रहा है तो पर्याप्त दूध कहां से होगा।
इधर, सहालग में दूध एवं पनीर की मांग बढ़ गई है। चाय और मिठाई के दुकानदार केशव प्रसाद ने बताया कि पाउडर और रिफाइंड से तैयार किया गया नकली खोआ 200 से 220 रुपये किलो में थोक में उपलब्ध है, इसे दुकानदार 300 से 340 रुपये प्रति किलो की दर से बेच देते हैं। यही हाल पनीर का भी है। पनीर 220 से 230 रुपये किलो में मिल रहा है जबकि शुद्ध पनीर का बाजार भाव 380 से 400 रुपये प्रति किलो है। कम दाम वाले पनीर में मिलावट की अधिक आशंका रहती है।
पाउडर वाले दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए पनीर से लेकर मिठाई बनाने में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। लाभ के चक्कर में धंधेबाज पाउडर से बने दूध को घरों में पहुंचा रहे हैं। इससे पनीर बनाने में खर्चा भी कम आता है और धंधेबाजों को मोटा मुनाफा होता है। शहर के एक दुकान में काम करने वाले कारीगर मोहन यादव ने बताया कि दूध की मांग अधिक होने के कारण विवश होकर पाउडर का दूध मंगाना पड़ता है।