ISRO Bluebird Satellite Launch : अंतरिक्ष में बाहुबली की दहाड़ ! इसरो ने लॉन्च किया दुनिया का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट

    24-Dec-2025
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नयी दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज फिर एक कीर्तिमान रच दिया है। दरअसल इसरो ने इस साल के अपने आखिरी मिशन में सबसे बड़ी कम्युनिकेशन सैटेलाइट ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।

यह पूरी तरह से कॉमर्शियल लॉन्चिंग है। मिशन के तहत अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 संचार उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। इसरो ने इसकी लॉन्चिंग के लिए अपने एलवीएम3 रॉकेट का इस्तेमाल किया, जो कि इस लॉन्च व्हीकल की छठवीं उड़ान रही और वाणिज्यिक मिशन के लिए तीसरी। भारत के इस लॉन्च व्हीकल को पहले ही इसकी क्षमताओं के लिए 'बाहुबली' नाम दिया जा चुका है।  


यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 8:55 बजे हुई। इसरो के मुताबिक, करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद कम्युनिकेशन सैटेलाइट रॉकेट से अलग होकर लगभग 520 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया। यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिका की AST स्पेसमोबाइल (AST and Science, LLC) के बीच हुए कॉमर्शियल समझौते का हिस्सा है।

क्यों खास है इसरो का ये मिशन?
इस सफल लॉन्चिंग की अहमियत ये है कि इससे कमर्शियल स्पेस सेक्टर में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की पकड़ काफी मजबूत होगी। ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह का वजन लगभग 6,500 किलोग्राम है। यह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होने वाला सबसे बड़ा वाणिज्यिक संचार उपग्रह भी है। भारत अपने एलवीएम3 लॉन्च व्हीकल के जरिए चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वैश्विक स्तर पर सैटेलाइट इंटरनेट मुहैया कराने वाली- वन वेब के सैटेलाइट लॉन्चिंग मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है। वन वेब मिशन में इसरो ने एलवीएम से दो बार में कुल 72 सैटेलाइट्स पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित की थीं।

ब्लूबर्ड 2 क्यों है खास?
* ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को विश्वभर में स्मार्टफोन को सीधे हाई-स्पीड सेलुलर ब्रॉडबैंड प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है
* इस उपग्रह में 223 वर्ग मीटर का विशाल फेज़्ड-एरे एंटीना लगा है, जो इसे अब तक लोअर अर्थ ऑर्बिट में तैनात किया गया सबसे बड़ा वाणिज्यिक संचार उपग्रह बनाता है।
* ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 की मदद से स्मार्टफोन वाणिज्यिक और सरकारी दोनों उद्देश्यों के लिए सीधे उपग्रहों से जुड़ सकेंगे।
* यह नेटवर्क दुनिया भर में कहीं भी 4G और 5G वॉयस और वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाओं को सपोर्ट करेगा।
* इस सैटेलाइट की मदद से अंतरिक्ष से सीधे धरती पर कॉल, मैसेज या वीडियो कॉल किया जा सकेगा।

इस सैटेलाइट की मदद से दूरस्थ स्थानों जैसे पहाड़ी इलाकों, महासागरों और रेगिस्तानों तक मोबाइल सेवा पहुंच सकेगी और इन क्षेत्रों में 4जी-5जी नेटवर्क सुविधा पहुंचाना आसान हो जाएगा। 

इतना ही नहीं आपदा की स्थिति में जब टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर तूफान, बाढ़, भूकंप, भूस्खलन या दूसरी प्राकृतिक आपदाओं में तबाह हो जाते हैं, तब भी सैटेलाइट नेटवर्क बेहतर रहता है।