महराजगंज। न्याय प्रक्रिया को हाईटेक बनाने के साथ-साथ अब कारागार प्रशासन को भी डिजिटल सुविधा से जोड़ा जा रहा है। इससे न केवल कामकाज में सरलता आएगी, बल्कि समय की भी बचत होगी। अदालत से किसी बंदी की रिहाई का आदेश जारी होते ही अब ई-प्रिजन पोर्टल के माध्यम से उसे तुरंत रिहा किया जाएगा।
पहले, अदालत का आदेश पैरोकार के माध्यम से कारागार तक पहुंचता था, जिसके बाद ही बंदी की रिहाई संभव होती थी। इस प्रक्रिया में देरी होती थी, लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत ई-प्रिजन पोर्टल लागू कर दिया गया है। इसके जरिए अदालत द्वारा जारी किए गए डिजिटल हस्ताक्षर युक्त जमानत आदेश सीधे कारागार प्रशासन तक पहुंचेंगे, जिससे रिहाई की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
इसके अलावा, जिला अदालतों में एनएसटीईटी सिस्टम और बेल ऑर्डर मैनेजमेंट सिस्टम प्रभावी कर दिए गए हैं। भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता की धारा 223 के तहत अब नोटिस ऑनलाइन जारी होंगे और एफआर (फाइनल रिपोर्ट) को हाईकोर्ट की सीपीसी प्रणाली के माध्यम से सीधे प्राप्त किया जा सकेगा।
पहले समन और वारंट पुलिस के माध्यम से भेजे जाते थे, जिनके आरोपी तक न पहुंचने की शिकायतें मिलती थीं। लेकिन अब यह प्रक्रिया भी ऑनलाइन कर दी गई है। अब समन और वारंट सीधे पुलिस अधीक्षक को डिजिटल माध्यम से भेजे जाएंगे, जिससे न्यायिक प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज हो जाएगी।