रसोइयों ने बताया कि वे लंबे समय से स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बिना नियमित वेतन के कार्य कर रही हैं। इसके बावजूद उन्हें सफाई, चुनाव, पोलिंग बूथ और अन्य सरकारी कार्यों में भी जबरन लगाया जाता है। उनका कहना है कि यदि उनकी मांगें शीघ्र नहीं मानी गईं, तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगी।
उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
जनसंख्या के आधार पर हटाने की प्रक्रिया रोकी जाए
प्रति हेड मजदूरी ₹0.50 से बढ़ाकर ₹2 की जाए
बकाया भुगतान किया जाए
नियुक्ति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं
सिर्फ भोजन संबंधी कार्य ही लिया जाए, अन्य कार्यों के लिए बाध्य न किया जाए
संरक्षक राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि अधिकांश रसोइया अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और गरीब वर्ग से आती हैं और सालों से बच्चों को पौष्टिक भोजन देने का कार्य कर रही हैं। लेकिन अब जबरन अन्य कार्य लेना उनके अधिकारों का हनन है।
इस दौरान पाना, सुनीता, शांति, कुसुम, सावित्री, महेश, रामलाल, रामसेवक और श्रीराम समेत कई रसोइया मौजूद रहे।