घटना के दूसरे दिन भी मौके पर विभाग का कोई अधिकारी या इंजीनियर नहीं दिखा। केवल कुछ मजदूर शटरिंग और गिरे हुए सरिए को हटाते नजर आए। उनके चेहरों पर दहशत साफ देखी जा सकती थी। घायल मजदूरों की हालत में सुधार बताया जा रहा है, लेकिन हादसे ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय निवासी मुहम्मद शमशेर और सोनौली के राघवेंद्र ने बताया कि मजदूरों को न हेलमेट दिए गए थे और न ही दस्ताने या अन्य सुरक्षा उपकरण। विभागीय लापरवाही के कारण यह गंभीर हादसा हुआ है, जिससे अब निर्माण कार्य की निगरानी और मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।