शासन की ओर से महाकुंभ के लिए अस्थायी बस स्टेशन और यात्री सुविधाएं विकसित करने के लिए धन आवंटित किया गया था, लेकिन आरोप है कि वास्तविक रूप में ऐसा कोई स्टेशन नहीं बनाया गया। जांच शुरू होने के बाद आनन-फानन में निचलौल रोड स्थित मऊपाकड़ के पास रातों-रात बस खड़ी की गई और कुछ यात्रियों को बुलाकर अस्थायी व्यवस्था दिखाने का प्रयास किया गया।
इस घटनाक्रम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया। जांच की प्रक्रिया के दौरान एआरटीओ विनय कुमार मेडिकल लीव पर चले गए। शुक्रवार को वाराणसी और गोरखपुर से आई परिवहन विभाग की विशेष टीम ने सहायक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय पहुंचकर गहन जांच की।
टीम में शामिल उप परिवहन आयुक्त भीमसेन और गोरखपुर आरटीओ रामवृक्ष सोनकर ने कार्यालय के दस्तावेजों और अभिलेखों की गहराई से जांच की। जांच के दौरान खामियों को तत्काल सुधारने के निर्देश दिए गए और आरसी पेपर की लंबित फाइलों को शीघ्र निस्तारित करने का आदेश दिया गया।
जांच रिपोर्ट विभागीय उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी। फिलहाल, एआरटीओ विनय कुमार को हटाकर सिद्धार्थनगर के एआरटीओ को महराजगंज का चार्ज दिया गया है, जबकि अस्थायी बस स्टेशन के मामले की जांच अभी भी जारी है और मामला शासन के संज्ञान में है।