बिना एक बूँद पानी के अपनी बदहाली पर आंसू बहाता ‘श्रीनगर ताल’

महाराजगंज। जिले में स्थित श्रीनगर ताल क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण जलाशय है, जो सोहगीबरवा वन्यजीव अभ्यारण्य का हिस्सा है। अंग्रेजों के शासनकाल में बना श्रीनगर का पुल कभी क्षेत्र के विकास का प्रतीक था, लेकिन आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

किसी समय में लगभग 3-4 फुट पानी इस ताल में हुआ करता था। करीब 8 वर्ष पहले तक श्रीनगर ताल स्थानीय किसानों के लिए सिंचाई का एक प्रमुख स्रोत रहा है। इसकी जल आपूर्ति से आसपास के कई गाँवों में खेती होती थी, जिससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता था।

फरेंदा तहसील के इस ताल से जुड़े नगेसरापुर, अखडौरा, चौतरवां, मध्यनगर, महुआरी, सेघरिया, राजधानी, मदरहना सहित कई गांवों के किसानों की फसलें इसी ताल के पानी से सिंचित होती थीं। लेकिन हाल के वर्षों में ताल की स्थिति खराब होती जा रही है, जिससे इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।

लगभग 8-9 साल पहले पुल के तीन पाये धंस गए। इसकी मरम्मत तो 2-3 साल पहले कराई गयी लेकिन समस्या यह है कि मरम्मत के बाद अब इस ताल में एक बूँद भी बारिश का पानी नहीं रुकता। सिंचाई विभाग के ज़िम्मेदार लोग इस मामले की पड़ताल तो करते हैं लेकिन होता कुछ नहीं है।

श्रीनगर ताल जैसे जल स्रोतों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने और कृषि क्षेत्र को बनाए रखने में मदद करता है। यदि इसका सही तरीके से संरक्षण किया जाए, तो यह क्षेत्र पर्यटन और जैव विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है।