महराजगंज। नर्सरी और कक्षा एक के छात्रों के स्कूल बैग का बढ़ता वजन अब नन्हें बच्चों की परेशानी का कारण बन रहा है, जबकि अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। भारी बैग के कारण बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, निजी स्कूलों में शिक्षा लगातार महंगी होती जा रही है, जिससे मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए इसे वहन करना कठिन होता जा रहा है। छोटे बच्चों को कई किताबें, अभ्यास पुस्तिकाएं और कॉपियां लेकर स्कूल जाना पड़ता है, जिससे उनके बैग का वजन असहनीय हो गया है।
जैसे-जैसे कक्षा बढ़ती है, वैसे-वैसे यह समस्या गंभीर होती जा रही है। कक्षा तीन और चार के छात्रों को प्रतिदिन छह किताबें, छह कॉपियां, अभ्यास पुस्तिकाएं और डायरी ले जानी पड़ती हैं, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास कुमार के अनुसार, अधिक वजन का बोझ बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर असमान दबाव डाल सकता है, जिससे शारीरिक विकृति की संभावना बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के बैग का वजन नियंत्रित करने के लिए स्कूलों को उचित कदम उठाने चाहिए।