महराजगंज। रमजान के आखिरी जुमे को मुस्लिम समुदाय ने जिले भर की मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की। इस मौके पर रोजेदारों ने देश की बेहतरी और अमन-चैन की दुआ मांगी। सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पुलिस पूरी तरह सतर्क रही और संवेदनशील स्थानों पर विशेष निगरानी रखी गई।
नौतनवा, परतावल, घुघुली, निचलौल, पनियरा, फरेंदा, धानी, बृजमनगंज, लक्ष्मीपुर, मिठौरा और सिंदुरिया समेत अन्य इलाकों की मस्जिदों में अकीदत के साथ अलविदा की नमाज अदा की गई।
रमजान के आखिरी अशरे का खास महत्व
सिंदुरिया की हुसैनिया मस्जिद में इमाम हाफिज अब्दुल रज्जाक ने नमाज पढ़ाई, जबकि हाजी मौलाना मोहम्मद हुसैन निजामी ने रमजान के आखिरी अशरे (तीसरे हिस्से) की अहमियत बताई। उन्होंने कहा कि यह अशरा जहन्नम से निजात का होता है, जिसमें भूखों को खाना खिलाना, जरूरतमंदों की मदद करना और रोजेदारों को इफ्तार कराना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।
अलविदा रमजान, ईद की दस्तक
मौलाना ने कहा कि रमजान का आखिरी जुमे को ‘जुमातुल विदा’ कहा जाता है, जो इस पाक महीने के समापन का संकेत देता है। जहां ईद की खुशी लोगों के चेहरों पर नजर आती है, वहीं इस बरकत भरे महीने के जाने का गम भी महसूस किया जाता है। इस मौके पर नमाज के दौरान ‘अलविदा माह-ए-रमजान’ कहते हुए इस पाक महीने को विदाई दी जाती है।