महराजगंज। जिले में वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के बाद, प्रशासन ने जिले में वक्फ बोर्ड द्वारा उपयोग की जा रही संपत्तियों की मौजूदा स्थिति की जांच शुरू कर दी है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अनुसार, जिले में कुल 444 संपत्तियाँ वक्फ बोर्ड के उपयोग में हैं, जिनमें मस्जिदें, मदरसे, मकतब, ईदगाह और कब्रिस्तानों की भूमि शामिल हैं। हालांकि, ये संपत्तियाँ अभिलेखों में सरकारी भूमि के रूप में दर्ज हैं।
इसके अतिरिक्त, कुछ मस्जिदों और मदरसों के आसपास की दुकानों का किराया संबंधित धार्मिक संस्थानों के इमामों या मौलवियों को प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए, मुड़िला क्षेत्र में बाजार की भूमि पर बनी दुकानों का उपयोग अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा किया जा रहा है, जबकि हिंदू समुदाय इसे अपनी जमीन मानता है। यह मामला पिछले आठ वर्षों से विवादित है।
2024 में, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को सूचीबद्ध करने के लिए राष्ट्रीय पोर्टल ‘वामिक’ लॉन्च किया गया था, जिसमें प्रदेश के प्रत्येक जिले की संपत्तियों का डेटा फीड किया जाना था। हालांकि, महराजगंज जिले की केवल 178 संपत्तियों का डेटा इस पोर्टल पर उपलब्ध है, जिसमें फरेंदा की 97 और सदर की 72 संपत्तियाँ शामिल हैं।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में वक्फ बोर्ड के नाम पर कोई संपत्ति अभिलेखों में दर्ज नहीं है। कुल 444 संपत्तियाँ कागजों में सरकारी हैं, लेकिन उनका उपयोग मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जाता है, इसलिए उन्हें वक्फ के दायरे में माना जाता है। शासन से निर्देश मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।