महराजगंज। गोरखपुर में एंबुलेंस में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी। इसे देखते हुए महराजगंज में भी सबक लेने की जरूरत है। यहां भी एंबुलेंस में कटे पिटे तार हादसे का कारण बन सकते हैं।
छोटी सी लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है। जिले में 108 नंबर की 29 एंबुलेंस संचालित हैं। वहीं सरकारी और प्राइवेट 98 एंबुलेंस पंजीकृत हैं, लेकिन संचालित इससे अधिक हो रही हैं।
सोमवार को शहर में सीएचसी सदर परिसर में सुबह 11:00 बजे एक एंबुलेंस दिखी। अंदर की तस्वीर बेहतर नहीं दिखी। ग्लूकोज की एक बोतल रस्सी के सहारे बांधी गई थी। यहां चालक नहीं मिला। पास में खड़े धीरेंद्र ने बताया कि एंबुलेंस कर्मी मरीज को लेकर अंदर गए हैं। फ्रेम से ऑक्सीजन सिलिंडर बंधा था। यहां से आगे बढ़ने पर जिला अस्पताल परिसर में एंबुलेंस दिखी। उसकी हालत ठीक थी। मरीज को बाहर स्ट्रेचर पर लिटाकर ट्राॅमा सेंटर के अंदर कर्मी ले जा रहे थे। एंबुलेंस में सब कुछ अपडेट नजर आया।
दोपहर 12:00 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परतावल में 108 एंबुलेंस खड़ी थी। वहां एंबुलेंस चालक यदुनाथ यादव मिले। उन्होंने पीछे का दरवाजा खोला और अंदर की स्थिति दिखाई। एंबुलेंस के अंदर सीट फटी मिली। इसमें ऑक्सीजन सिलिंडर रखा था, स्टैंड ठीक नहीं दिखा। चालक ने बताया कि सभी जरूरी उपकरण एंबुलेंस में मौजूद हैं। दोपहर एक बजे रतनपुर सीएचसी पर 108 एंबुलेंस खड़ी मिली। उसमें कोई मरीज नहीं मिला। उसके अंदर प्लास्टिक की एक बाल्टी रखी थी। ऑक्सीजन सिलिंडर भी अंदर था। एंबुलेंस चालक लक्ष्मण दुबे ने बताया कि ऑक्सीजन आदि सभी सुविधाएं मौजूद हैं।
उधर, निजी एंबुलेंस के पंजीकरण की संख्या महज 20 बताई गई, लेकिन जिले में इसके चार गुना संचालन होता है। छोटी गाड़ी पर एंबुलेंस लिखकर मरीज ले जाने के लिए सीट की व्यवस्था कर काम चलाया जाता है।