महराजगंज। जिले में घुघली से महराजगंज वाया आनंदनगर तक प्रस्तावित नई रेल लाइन परियोजना मुआवजा वितरण में देरी हो रही है। परियोजना के पहले चरण का कार्य आरंभ हो चुका है लेकिन प्रभावित परिसंपत्तियों के स्वामियों को अब तक पूरा मुआवजा नहीं मिल सका है। इस लापरवाही को लेकर रेलवे बोर्ड ने नाराजगी जताते हुए भूमि अध्याप्ति विभाग के अधिकारियों से जवाब मांगा है।
जानकारी के अनुसार, घुघली से महराजगंज वाया आनंदनगर तक कुल 52.70 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण किया जाना है। यह परियोजना कुल 52 गांवों से होकर गुजरेगी, जिसके तहत सैकड़ों किसानों की भूमि और परिसंपत्तियां अधिग्रहित की जा रही हैं। परियोजना को दो चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में घुघली से महराजगंज तक लगभग 24.8 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने का कार्य किया जाना है, जिसके लिए निर्माण एजेंसी का चयन भी किया जा चुका है।
भूमि अध्याप्ति विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में आने वाली परिसंपत्तियों के लिए कुल 12,92,46,325 रुपये का मुआवजा अवार्ड तैयार किया गया था। इसमें से अब तक छह करोड़ 77 लाख 32 हजार 435 रुपये का भुगतान किया जा चुका है जबकि छह करोड़ 15 लाख 13 हजार 890 रुपये की राशि अभी भी शेष है।
रेलवे विभाग ने बताया कि परियोजना से प्रभावित सभी परिसंपत्तियों के बदले की धनराशि भूमि अध्याप्ति विभाग को पहले ही ट्रांसफर कर दी गई है बावजूद इसके किसानों को भुगतान न होना गंभीर लापरवाही है। उधर मुआवजा वितरण में हो रही इस देरी पर रेलवे बोर्ड ने सख्त नाराजगी जताई है। बोर्ड ने भूमि अध्याप्ति विभाग के अधिकारियों को पत्र जारी करते हुए पूछा है कि जब पूरी धनराशि उपलब्ध है, तो भुगतान में इतनी देर क्यों की जा रही है।
रेलवे बोर्ड ने चेतावनी दी है कि इस देरी से परियोजना की गति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और कार्य समय पर पूरा न हो पाने की आशंका बढ़ रही है। रेल लाइन निर्माण परियोजना के दायरे में आने वाले महुआ, बरवा विद्यापति, कोदइला, रामपुर, विशुनपुर गबड़ुआ, लक्ष्मीपुर पड़री बुजुर्ग, पिपराइच उर्फ पचरुखिया, धरमपुर, बरवा चमैनिया, घुघली खुर्द और घघरुआ खड़ेसर गांवों के किसानों का कहना है कि उन्होंने मुआवजा के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज भूमि अध्याप्ति कार्यालय में जमा कर दिए हैं लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ।
महुआ गांव के किसान राजकुमार, जयकुमार और अजय वर्मा का कहना है कि वे महीनों से चक्कर लगा रहे हैं, मगर विभाग के अधिकारी टालमटोल का रवैया अपनाए हुए हैं। किसानों का कहना है कि मुआवजा न मिलने से वे आर्थिक संकट में हैं और रबी की बुआई के लिए भी पूंजी की व्यवस्था नहीं कर पा रहे।