बांसगांव (गोरखपुर)। माल्हनपार स्थित अस्पताल में ऑपरेशन से 45 वर्षीय महिला सफाईकर्मी गीता देवी की मौत से मंगलवार को हंगामा हो गया। उग्र ग्रामीण और परिजन ने अस्पताल संचालक के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने की मांग करते हुए शव सड़क पर रखकर जाम लगा दिया।
करीब तीन घंटे तक अफरातफरी का माहौल रहा। सूचना पर पहुंची बांसगांव थाना पुलिस ने संचालक को हिरासत में लेकर भीड़ को शांत कराने की कोशिश की। जब भीड़ नहीं मानी तो पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
बांसगांव के राउतपार गांव निवासी गीता देवी (45) उरुवा ब्लाक में सफाईकर्मी के पद पर तैनात थीं। उनके पति ब्रह्मदेव ने बताया कि पत्नी को पेट दर्द की शिकायत पर 22 अक्तूबर को एक अस्पताल लाया गया था। संचालक व डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि बच्चेदानी में ट्यूमर है और ऑपरेशन जरूरी है।
करीब एक लाख रुपये का खर्च बताया गया और 30 हजार रुपये अग्रिम लिए गए। उसी रात ऑपरेशन किया गया। चार दिन तक गीता देवी को अस्पताल में रखा गया, लेकिन तबीयत बिगड़ती रही। परिजनों का कहना है कि संचालक ने घर ले जाने की अनुमति नहीं दी और 25 अक्तूबर को बिना सूचना दिए गीता देवी को गोरखनाथ स्थित अस्पताल भेज दिया गया।
वहां 75 हजार रुपये और लिए गए। हालत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि प्रारंभिक इलाज में लापरवाही हुई है। मंगलवार सुबह 8:30 बजे गीता देवी की मौत हो गई। मौत की खबर मिलते ही ग्रामीण और परिजन अपराह्न 3:30 बजे शव लेकर अस्पताल पहुंचे और सड़क जाम कर दी।
भीड़ ने संचालक के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हत्या का केस दर्ज करने की मांग की। मौके पर पहुंची पुलिस ने समझाने की कोशिश की, लेकिन लोग भड़क गए और संचालक की ओर दौड़ पड़े। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने संचालक को हिरासत में ले लिया।
शाम होते ही भीड़ और उग्र हो गई। आरोप है कि पुलिस ने लाठियां पटक कर सड़क खाली कराई और शव को जबरन पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। इस दौरान कुछ राहगीरों की बाइकें क्षतिग्रस्त हो गईं और दुकानों का सामान बिखर गया।
मौके पर पहुंचे एसडीएम खजनी राजेश प्रताप सिंह ने परिजनों से बातचीत कर निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। वहीं सीओ बांसगांव अनुज कुमार सिंह ने बताया कि महिला के परिजनों की तहरीर पर जांच शुरू कर दी गई है। संचालक से पूछताछ चल रही है। सीएमओ को अस्पताल की वैधता और डॉक्टर की डिग्री की जांच के लिए पत्र भेजा गया है।