Maharajganj News : माइक्रोफाइनेंस की वसूली बनी गाँवों की डरावनी कहानी ! आसान कर्ज बन रहा महिलाओं के लिए मुसीबत

17 Nov 2025 10:42:27

महराजगंज। ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का जाल बिछा है, जिसमे महिलाएं आसानी से फंस जाती हैं लेकिन निकलना मुश्किल हो जाता है। अंत में हालात यह होती है कि उनकी जिंदगी तबाह हो जाती है। जिले के अलग-अलग गांव में महिलाएं समूह लोन के कर्ज के जाल में फंसी हैं।

तमाम महिलाएं तो एजेंटों की प्रताड़ना से तंग आकर पति के साथ दिल्ली चली गईं हैं। एजेंट घर पर ताला बंद देखकर आस पास जानकारी लेकर चले जाते हैं।

श्यामदेउरवां थाना क्षेत्र के ग्राम सभा धनहा नायक में सब्या की मौत ने कर्ज लेने वाली महिलाओं को झकझोर कर रख दिया है। क्षेत्र में भ्रमण करने पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्मियों की कथनी करनी सामने आ रही है।

यह भी पढ़ें : चित्रकूट में गूंजने वाली है बेटियों की धमक, महराजगंज की 6 खिलाड़ी राज्यस्तरीय जंग के लिए तैयार

महिलाएं तो आसानी से कर्ज लेकर अपना काम कर ले रहीं हैं, लेकिन आमदनी नहीं होने के कारण किस्त समय से जमा नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि कुछ महिलाएं एजेंटों की खरीखोटी सुनने से परेशान होकर पति के साथ दिल्ली-मुंबई समेत दूसरे शहरों में चली गईं हैं।

रविवार को मोहद्दीनपुर बनकटिया पहुंचने पर इसकी हकीकत पता चली। इस गांव की तमाम महिलाओं ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से कर्ज लिया है। किसी ने बीमारी होने पर इलाज में रकम खर्च कर दी तो किसी ने घरेलू जरूरत को पूरा करने में खाता खाली कर दिया। मोहद्दीनपुर बनकटिया गांव की कलावती के घर पर ताला बंद रहता है। वह पति राजू के साथ के दो साल पहले ही दिल्ली चली गई हैं।

इनके बारे में जानकारी हासिल की गई तो पता चला की उन्होंने छह कंपनियों से दो लाख से अधिक कर्ज लिया हैं। एजेंट प्रत्येक दिन वसूली के लिए आते हैं। पड़ोसी शकुंतता ने बताया कि कर्मचारियों की प्रताड़ना से दो साल पहले ही कलावती घर छोड़ दिल्ली चली गई। घर पर उनके दो बेटे सतीश 25 और मंजीत 18 घर पर रहते हैं। कर्ज भरने के चक्कर में घर का गैस सिलिंडर और चुल्हा तक बिक चुका है। एजेंट आते हैं तो दोनों घर छोड़कर कहीं चले जाते हैं।

यही हाल सुशीला का है। वह भी दो साल पहले दिल्ली चलीं गईं हैं। इनके पति बाबूराजा वहीं काम करते हैं। इनके बारे में बताया गया कि उन्होंने करीब तीन लाख कर्ज लिया है। इनकी सास रीता देवी घर में मिट्टी के चूल्हे पर पुआल जलाकर भोजन बना रहीं थीं।

बातचीत में उन्होंने वसूली करने वाले एजेंटों की कारस्तानी बयां करनी शुरू की। उन्होंने बताया कि एजेंट आकर घर पर ही डटे रहते थे। अनुरोध करने पर भी बात नहीं सुनते थे। प्रत्येक दिन आकर खरीखोटी सुनाते थे। इसी तरह से लालसा देवी भी पति राजन के साथ दिल्ली चली गई हैं। इसके अलावा जिन महिलाओं ने समूह से कर्ज लिया है वह घर छोड़कर गांव के बाहर दिनभर रहती हैं। वसूली करने वाले एजेंट घर से चले जाते हैं तो वह घर पर पहुंचती हैं।

माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के कर्ज के जाल में फंसने वाले परिवार के लोगों की मौत पहले भी हुई है। ताजा मामला तो परतावल क्षेत्र का है। इसके पहले भी जिले में अलग अलग क्षेत्रों में मौतें हुई हैं। सबसे खास बात यह है कि इन मामलों में पुलिस केस नहीं हुआ है। कर्ज लेने परिवारों ने मौखिक बातें की, लेकिन पुलिस तक मामले को नहीं पहुंचाया।


Powered By Sangraha 9.0