महराजगंज। जिले में नई रेल लाइन परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि और परिसंपत्तियों का मुआवजा प्रभावित किसानों और मकान स्वामियों को बेहद धीमी गति से मिल रहा है। प्रभावित किसानों और मकान स्वामियों को समय से मुआवजा नहीं मिलने से लोग परेशान हैं। अधिग्रहित परिसंपत्तियों के बदले 1,09,34,790 रुपये का मुआवजा अब भी मकान स्वामियों को दिए जाने की प्रक्रिया लंबित है।
जानकारी के अनुसार, नई रेल लाइन परियोजना घुघली से महराजगंज वाया आनंदनगर तक 52.70 किमी लंबी रेल लाइन प्रस्तावित है। यह परियोजना दो चरणों में पूरी होनी है। इससे कुल 52 गांव प्रभावित हो रहे हैं। प्रथम चरण में 29 गांवों में भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा किया जा चुका है। इसी अधिग्रहण में कुल 50 परिसंपत्तियां शामिल थीं। इनके लिए 12,92,46,325 रुपये का अवार्ड बनाया गया था।
विभाग के अनुसार, 11,83,11,537 रुपये का भुगतान कर दिया गया है, लेकिन शेष 1,09,34,790 रुपये अब भी लंबित है। मुआवजा मिलने में हो रही देरी से कई परिवारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। रेलवे विभाग के अनुसार, प्रथम चरण में जिन परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया गया, उनमें तरकुलवा के 7, महुअवा के 32, अगया के 3 और घघरुआ खड़ेसर के 4 मकान स्वामी आज भी मुआवजे की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
रेल विभाग अधिकारियों के जांच के बाद यह पता चला कि महुअवा गांव में रामसमुझ, छोटेलाल, राजदेई, दिनेश, गौरी शंकर और कृष्ण मोहन के मकान परियोजना की जद में आए हैं, जबकि घघरुआ खड़ेसर गांव में जितेंद्र, खुशहाल और कोईला देवी को अभी तक मुआवजा नहीं मिल सका है। ये सभी परिवार कई महीनों से रेलवे विभाग और उप भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
इन प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि मकान टूटने के बाद वे अस्थाई तौर पर रिश्तेदारों और किराए के मकानों में रह रहे हैं। बिना मुआवजे के वह नया मकान बनाने में असमर्थ हैं। कई लोगों को रोजगार और खेती-किसानी पर भी असर पड़ रहा है।