महराजगंज। कूट रचित दस्तावेजों का इस्तेमाल कर बैंक की धनराशि का दुरुपयोग, गबन और धोखाधड़ी करने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।
अदालत ने आरोपी पूर्व बैंक मैनेजर नीरज कुमार वर्मा, निवासी नरौतम नगर, पोस्ट सिधौली, जनपद सीतापुर को दोषी ठहराते हुए सात वर्ष का सश्रम कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदंड की सजा दी है। अर्थदंड नहीं अदा करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अभियोजन के अनुसार, मामला वर्ष 2021 में सामने आया था। संबंधित बैंक शाखा में अनियमितताओं की शिकायत के बाद आंतरिक जांच शुरू की गई। उस समय नीरज कुमार वर्मा सेंट्रल बैंक में शाखा प्रबंधक के पद पर तैनात था। जांच में पता चला कि आरोपी ने बैंक के अभिलेखों में हेरफेर करते हुए कई कूट रचित प्रविष्टियां दर्ज की।
उसने फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें बैंक रिकॉर्ड में सम्मिलित किया और बिना अनुमोदित बाउचर के विभिन्न खातों से धनराशि आहरित कर ली। आरोप यह भी था कि आरोपी ने लोकधन बैंक खाते से नियमों के विपरीत भारी मात्रा में नकद निकासी की और कोई विधिवत रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी की इन हरकतों से बैंक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा और खाताधारकों के हितों को भी क्षति पहुंची। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि आरोपी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बैंक की धनराशि निकाली और बैंक के विश्वास को तोड़ा।
न्यायालय में अभियोजन पक्ष ने दस्तावेजी साक्ष्यों, गवाहों के बयान और फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर आरोपों को सिद्ध किया। जिसके आधार पर न्यायालय ने अभियुक्त को दोषी करार दिया और सजा सुनाई है।