Maharajganj News : मेडिकल स्टोर की आड़ में मौत का खेल ! महराजगंज में उजड़ा बड़ा रैकेट, मास्टरमाइंड फरार

26 Nov 2025 10:52:23

महराजगंज। जिले में मेडिकल स्टोर की आड़ में गुप्त अस्पतालों का काला खेल फिर बेनकाब हो गया है। ऐसे अस्पताल संचालित हो रहे हैं। अवैध रूप से क्लीनिक का संचालन कर मरीजों को मौत के मुंह में डाला जा रहा है।

बीते दिन कोठीभार थाना क्षेत्र की युवती भी इसका शिकार बन चुकी है। जहां पर आगे मेडिकल स्टोर संचालित हो रहा था, पीछे के कमरों में बाकायदा मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था थी। हालांकि इसे संचालित करने वाला मास्टरमाइंड अभी भी फरार है।

जानकारी के अनुसार, निचलौल में निजी क्लिनिक पर मेडिकल स्टोर के पीछे चल रहे अवैध अस्पताल संचालित हो रहा था। मंगलवार को क्लिनिक से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित एक चाय की दुकान पर लोगों ने चर्चा करते हुए कहा कि बिना पंजीयन और मेडिकल के आड़ में चलने वाले अवैध अस्पतालों पर विभाग के जिम्मेदार मेहरबान हैं। शायद इसीलिए न इनकी जांच पड़ताल होती है और न ही कोई सख्त कार्रवाई। स्थिति यह है कि आगे छोटा मेडिकल स्टोर दिखावे के लिए खोलकर पीछे अवैध तरीके से अस्पताल संचालित हो रहा था।

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शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक अवैध अस्पतालों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। सरहद से सटे हर गांव और चौराहों पर बिना पंजीकरण के चल रहे मेडिकल और क्लिनिक हैं। भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में झोलाछाप की संख्या भरमार है। वह गांव की गलियों और चौराहों पर झोपड़ी और टीनशेड बड़े से बड़े बीमारी का इलाज कर ठीक करने का दावा करते हैं।

यही कारण है कि तमाम लोग झोलाछाप के झांसे में आकर फंस जाते हैं और बीमारी ठीक होने के बजाय बढ़ती चली जाती है। फिर लोग मोटी रकम खर्च करने के बाद हार कर सरकारी अस्पताल या किसी बड़े डॉक्टर के पास इलाज के लिए पहुंचते हैं। सूत्रों की मानें तो झोलाछाप की कमाई इतनी मोटी है कि ब्याज पर कर्ज भी देते हैं। छोटी सी बीमारी ठीक करने में अधिक रकम खर्च कराते हैं।

इतना ही नहीं अक्सर मरीज की जान भी चली जाती है। इनका खेल यहीं नहीं रुकता है। जांच कराने के लिए लैब से सेटिंग कर रखे हैं। जांच के नाम पर मोटी रकम भी खर्च कराते हैं। शर्तिया इलाज की गारंटी देकर मरीज को फंसाते हैं।

अवैध अस्पताल संचालक आशा कार्यकर्ताओं को रकम का लालच देकर मरीजों को अस्पताल भेजने के लिए कहते हैं। सामान्य से लेकर गंभीर इलाज तक के मरीजों को भेजने के एवज में कमीशन अलग-अलग मिलता है। दो हजार से लेकर 10 हजार रुपये कमीशन मरीज लाने के एवज में दिए जाते हैं।


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