मिठौरा। रेशम केंद्र हरिहरपुर में सोमवार को रेशम विभाग के अधिकारियों ने रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चौथे दिन किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। इसमें सहायक रेशम निदेशक समर बहादुर सिंह ने कहा की शहतूती, एरी और टसर सहित तीन प्रकार के रेशम का उत्पादन प्रदेश भर में होता है।
शहतूती एवं एरी रेशम उत्पादन में कीटपालन गृह एवं उपकरणाें की आवश्यकता होती है। केंद्रीय रेशम बोर्ड भारत सरकार के रेशम वैज्ञानिक डॉ. डीएन सिंह ने कहा की शहतूती एवं एरी रेशम कीटपालन की फसल करीब एक माह में होती है। इस अवसर पर रामलखन मौर्या, वरुण कुमार सिंह, रविशंकर गुप्ता, नाथू, मेजर निषाद, विनय सहानी मौजूद रहे।