Maharajganj News : बांस के पुल से मिलेगी निजात, सोहगीबरवा में 1.39 करोड़ से बनेंगे दो नए पुल

09 Dec 2025 08:04:56

महराजगंज। निचलौल के सोहगीबरवा गांव को जिले का सबसे पिछड़ा गांव माना जाता है, यहाँ के लोगों ने राहत भरी सांस ली है। गांव के टोले को जोड़ने के लिए पुल नहीं है। लोग बांस व पटरी के बने पुल से गुजरते हैं। स्थानीय लोगों की समस्या को दूर करते हुए लोक निर्माण प्रांतीय खंड की ओर से दो महत्वपूर्ण पुलों के निर्माण कार्य को हरी झंडी दी गई है। दोनों पुलों को 1.39 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। जनवरी के अंतिम सप्ताह से काम शुरू होगा।

जानकारी के अनुसार, सोहगीबरवा क्षेत्र में पहला पुल सोहगीबरवा-बभनवा टोला मार्ग पर और दूसरा सोहगीबरवा संपर्क मार्ग पर प्रस्तावित है। सोहगीबरवा के दोनों पुलों के निर्माण होने से क्षेत्र की लगभग 50 हजार आबादी को आवागमन में सहूलियत मिलेगी।

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मुसहर बस्ती सोहगीबरवा, भोतहा, शिकारपुर व इनके टोले बाबू टोला, नौका टोला, मुजा टोला, पश्चिम टोला, धर्मपुर, मटियरवा, खुटहवा, और दौंनहवा के लोग लंबे समय से आवागमन की समस्या से जूझ रहे हैं। बरसात में तो बांस पट्टी का पुल बेहद खतरनाक होता है। सोहगीबरवा क्षेत्र के पूरब में रोहुआ नाला, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण में नारायणी नदी तथा जंगल क्षेत्र है। यहां बरसात के दिनों में चारों तरफ पानी भर जाता है।

वर्तमान में सोहगीबरवा संपर्क मार्ग और बनवा टोला के पास स्थायी पुल की व्यवस्था नहीं है। स्थानीय लोगों ने वर्षों से आवागमन के लिए बांस बल्लियों से बने अस्थायी पुलों का सहारा बना हुआ है। यह व्यवस्था न केवल असुरक्षित है बल्कि बरसात के मौसम में पूरी तरह बेकार साबित हो जाती है। बरसात के दौरान दोनों स्थानों पर जलभराव की स्थिति बन जाती है।

अस्थायी पुल पानी में डूब जाते हैं और लोगों को अपने ही गांव-टोले तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। कई बार इन अस्थायी पुलों के कमजोर हो जाने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। राजेश यादव का कहना है कि बरसात में जब लकड़ी और बांस से बने पुल पानी में डूब जाते हैं, उस समय गांव वालों को नाव के सहारे जाना पड़ता है।


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