सहरून का कहना है कि उसकी पहली शादी मर्यादपुर के मकबूल से हुई थी और दोनों को एक बेटा भी है। लेकिन संबंधों में दरार आने के बाद सहरून ने मकबूल से अलग होकर सेवतरा के ईदू से विवाह कर लिया। इसके कुछ समय बाद, कागज़ों में उसे मृत घोषित कर दिया गया।
अब महिला को बार-बार सरकारी दफ्तरों में खुद को जीवित साबित करने के लिए दस्तावेज देने पड़ रहे हैं।
सहरून ने हल्का लेखपाल, स्थानीय पुलिसकर्मियों और गांव के कुछ रसूखदार लोगों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मिलकर उसकी पहचान मिटाने और बेटे की संपत्ति पर कब्जा जमाने की योजना बनाई है।
महिला ने प्रशासन से मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उसका कहना है कि वह अपने अधिकारों के लिए अंत तक संघर्ष करती रहेंगी।