बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धि पांडेय की ओर से लक्ष्मीपुर और निचलौल ब्लॉक में 10 से अधिक अवैध रूप से संचालित स्कूलों को बंद कराया गया और उन्हें नोटिस भेजा गया। इन स्कूलों के बच्चों का नामांकन आसपास के परिषदीय विद्यालयों में भी कराया गया, परंतु संबंधित स्कूल संचालकों ने विभाग को कोई जवाब नहीं भेजा। विभाग ने भी इस लापरवाही पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
उधर, जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) की जांच में भी करीब आठ ऐसे स्कूल चिन्हित किए गए जिनकी मान्यता केवल प्राथमिक स्तर तक थी, लेकिन वे माध्यमिक स्तर की कक्षाएं संचालित कर रहे थे। इन्हें भी नोटिस तो दिया गया, लेकिन जवाबदेही अब तक नहीं सुनिश्चित की गई।
अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी नीरज अग्रवाल ने बताया कि अब तक 13 मदरसों को बंद कराते हुए संचालकों को नोटिस दिया गया है। रिपोर्ट डीएम को भेजी जा चुकी है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कितने मदरसा संचालकों ने जवाब दिया है।
इस पूरे प्रकरण से शिक्षा विभाग की ढीली कार्यप्रणाली और गैर-जिम्मेदाराना रवैये की तस्वीर स्पष्ट हो गई है, जो न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्न खड़े करती है, बल्कि शासन की निगरानी प्रणाली पर भी सवाल उठाती है।