Maharajganj News : नेपाल बॉर्डर के पास 5 गांव बनेंगे टूरिस्ट हब, पर्यटकों से होंगे गाँव गुलज़ार

    28-Jun-2025
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महराजगंज।
भारत-नेपाल बॉर्डर के करीब महराजगंज जिले के पांच गांवों को पर्यटन गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है। पहले चरण के काम में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

पुरानी सभ्यता, संस्कृति, लोककला, व्यंजन, रहन-सहन आदि के बारे में पर्यटकों को देखने के लिए मिलेगा। चयनित गांवों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कढ़ाई, बुनाई से लेकर वाल हैंगिंग व आकर्षक टोकरी बनाने की जानकारी दी जा रही है। प्रत्येक गांव से 60-60 लाभार्थियों का चयन कर उनको प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, बाॅर्डर क्षेत्र के गांव भेड़िहारी, गिरहियां, इटहिया, बनरसिहां कला, चंडीथान गांव से 60-60 लाभार्थियों का चयन हुआ है। इन गांवों में नामित एजेंसी के कर्मी प्रशिक्षण दे रहे हैं। पर्यटन उद्योग को गति देने के लिए प्रयास किया जा रहा है। बॉर्डर क्षेत्र में पर्यटन विकास को गति मिलने के साथ ही स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

रोजाना गांव में 10-10 होम स्टे यूनिट तैयार हो चुका है। अभी बनरसिहां कला में चयन नहीं हुआ है। ड़िहारी, गिरहियां, इटहिया, चंडीथान में 10 महिलाओं को आर्ट क्राफ्ट, मंदिर के वेस्ट से अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। 10 लोगों को लोक कला, स्थानीय नृत्य, बिरहा गाने आदि का प्रशिक्षण दिया गया। पांच महिलाओं को भोजन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।

10 युवा मंडल को जोड़ा गया। 10 युवाओं को टूर गाइड का प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें यह बताया गया कि पर्यटक गांव में आएंगे तो उन्हें कैसे भ्रमण कराते हुए गांव की विविधता के बारे में बताएंगे। प्रत्येक गांव में 10-10 होम स्टे का चयन हो चुका है। इसे पर्यटकों की जरूरत के अनुसार विकसित किया जा रहा है। 10 युवाओं को जोड़ा गया है।

इनको खेलकूद, खो-खो आदि के बारे में बताया गया। गांव के खेलों के बारे में इनको बेहतर ढंग से जानकारी देते हुए प्रशिक्षकों ने ठीक से प्रस्तुतीकरण के बारे में बताया। होम स्टे को पोर्टल पर पंजीकृत कर दिया गया है। ऐसे सुविधा सभी चयनित गांवों में होगी।

सरकार की योजना के तहत थारू जनजाति के सुंदर हस्तशिल्प उत्पादों को स्थानीय बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफार्म से जोड़ा जाएगा, जिससे इन पारंपरिक कलाओं को न केवल पहचान मिलेगी, बल्कि स्थानीय कारीगरों की आय भी बढ़ेगी। टूरिस्ट विलेज योजना सिर्फ पर्यटन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, महिला सशक्तीकरण और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे सीमावर्ती गांवों में विकास की रोशनी पहुंचेगी और वहां की विरासत को नया जीवन मिलेगा।

उत्तर प्रदेश अब पर्यटन के जरिए अपने गांवों को विश्वस्तरीय मंच देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सहायक पर्यटक अधिकारी प्रभाकर मणि त्रिपाठी ने बताया कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सरकार सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाकर सीमावर्ती गांवों के पलायन को रोकना चाहती है, जिससे इन गांवों से पलायन रुक सके और सीमा सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिल सके। प्रोग्राम के आने से विकास दर की रफ्तार तेज हो जाएगी।