
Shubhanshu Shukla : भारत के युवा अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिनों के प्रवास के बाद मंगलवार को मुस्कुराहट के साथ धरती पर लौट आए, लेकिन उनकी स्वदेश वापसी अभी करीब एक महीने दूर है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार, मिशन के बाद की औपचारिकताओं को पूरा कर शुभांशु अगले महीने 17 अगस्त तक भारत आ पाएंगे। शुभांशु की इस उपलब्धि के साथ भारत की मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान गगनयान मिशन की महत्वाकांक्षाओं को साकार करने की तैयारी शुरू हो गई है।
मिशन के दौरान शुभांशु ने जो वैज्ञानिक प्रयोग किए, वे न केवल भारत, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान समुदाय के लिए भी नई दिशा का संकेत हैं। शुभांशु ने माइक्रो ग्रैविटी, साइनोबैक्टीरिया समेत सात प्रयोग किए। इसमें सूक्ष्म शैवाल पर शोध और स्टेम सेल अनुसंधान शामिल थे। नासा के अनुसार, अंतरिक्ष में मानव शरीर की प्रतिक्रियाएं, कोशिकाओं की जैविक क्रिया और स्वचालित स्वास्थ्य निगरानी जैसे क्षेत्रों से जुड़े प्रयोग भविष्य में चंद्रमा, मंगल और लंबे स्पेस अभियानों के लिए नींव तैयार कर सकते हैं। स्टेम सेल विभेदन से जुड़े शोध से कैंसर के इलाज में लाभ मिलेगा।
शुभांशु भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं। उनसे पूर्व राकेश शर्मा 1984 में सोवियत रूसी मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे। शुभांशु ने अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बनने व पृथ्वी की कक्षा में सर्वाधिक समय तक (20 दिन) रहने का भी इतिहास बनाया। हंगरी व पोलैंड के यात्री भी 40 वर्षों के बाद अंतरिक्ष में भेजे गए थे।
शुभांशु और एक्सिओम-4 मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट पर उतरे। 28 हजार किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से यात्रा करते हुए ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने प्रशांत महासागर में उतरने से पहले तीव्र गर्मी का सामना किया और इन परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार किए गए उपायों को इस्तेमाल में लाते हुए धीरे-धीरे गति को कम किया और फिर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया और अंत में प्रशांत महासागर में गिरा। इसके कुछ ही मिनट बाद, ड्रैगन अंतरिक्ष यान को स्पेसएक्स के रिकवरी शिप शैनन के ऊपर ले जाया गया, जहां शुभांशु व अन्य तीन अंतरिक्ष यात्री मुस्कुराते हुए और कैमरों की ओर हाथ हिलाते हुए अंतरिक्ष यान से बाहर निकले। सभी ने करीब 20 दिन बाद पृथ्वी की ताजा हवा में सांस ली।
एक्सिओम-4 के चालक दल को हेलिकॉप्टर के जरिये तट पर ले जाने से पहले जहाज पर सबकी कई चिकित्सीय जांच की गई। चारों अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर पुनर्वास के तहत अभी सात दिन अलग-थलग बिताना होगा ताकि वे धरती के गुरुत्वाकर्षण से तालमेल बिठा सकें।