महराजगंज। परतावल ब्लॉक में 50 से काम छात्र वाले स्कूलों का मर्जर होने से अभिभावकों की चिंताएं बढ़ गयी हैं। भले ही स्कूलों का विलय कर बाल वाटिका का सपना दिखाया जा रहा है, लेकिन व्यवहारिक समस्याएं बच्चों और अभिभावकों को परेशान कर रही हैं। स्कूल विलय होने से कई स्कूलों की दूरी घर से दो से चार किलोमीटर हो गई है। ऐसे में बच्चों को प्रतिदिन सुरक्षित और समय से स्कूल आने-जाने दिक्कत शुरू हो गई है।
यही कारण है कि बच्चे विलय होने के बाद भी अभी भी अपने पुराने विद्यालय पर हैं। वह स्कूल को छोड़कर दूसरे स्कूल में जाने का हरगिज तैयार नहीं हैं। हिन्दुस्तान टीम ने परतावल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीपुर भरगांवा की पड़ताल कराया तो बच्चे विलय वाले स्कूल में जाने को तैयार नहीं थे।
प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीपुर भरगावां का विलय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार कम्पोजिट में हो गया है। लेकिन यहां के बच्चे बसवार स्कूल में जाने को तैयार नहीं हैं। कक्षा चार की संजीता ने बताया कि यदि लक्ष्मीपुर भरगावा में स्कूल नहीं चलेगा तो नाम कटवा लूंगी। लेकिन दूर बसवार नहीं जाउंगी। कक्षा चार के किशन, कक्षा तीन के आयुष, कक्षा पांच के आदिल, कक्षा पांच की रहनुमा ने बताया कि विलय बच्चों के हित में नहीं है। इससे हमारा घर स्कूल से दूर हो गया है। दूर स्कूल जाने में परेशानी होगी।
अब तक सभी बच्चों को विलय वाले स्कूलों में नामांकन नहीं हुआ है और अधिकांश स्कूल भी नहीं जा रहे हैं। अभिभावक पशोपेश में हैं कि बच्चों को कैसे विलय वाले विद्यालय में भेजेंगे। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष केशव मणि त्रिपाठी का कहना है कि स्कूल विलय प्रक्रिया से दर्जनों विद्यालयों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। यहां न अध्यापकों की भर्ती हो सकेगी और न शिक्षकों का पदोन्नति हो सकेगा। मर्जर के बाद घर से स्कूल की दूरी अधिक हो जाने से बच्चे भी प्राथमिक शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। बच्चे ड्राप आउट भी होंगे। सबसे बड़ा प्रभाव बालिका शिक्षा पड़ेगा। कई अभिभावक पशोपेश में हैं कि स्कूल दूर होने के बाद वह अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजेंगे?