महराजगंज। नेपाल की अर्थव्यवस्था की बैक बोन माने जाने वाले पर्यटन कारोबार पर एक बार फिर संकट गहरा रहा है। देश में फैली राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का हिंसक आंदोलन, विरोध प्रदर्शन और हिंसक घटनाओं के कारण विदेशी पर्यटकों का आगमन लगभग 50 प्रतिशत घट गया है।
ट्रैकिंग सीजन की शुरुआत होने के बावजूद जो आमतौर पर पर्यटन का चरम समय होता है, उसमें होटल खाली पड़े हैं। बुकिंग रद्द हो रही है, और व्यवसायी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इस अस्थिरता से आर्थिक नुकसान पहुंचा है।
नेपाल मेें आंदोलन की शुरुआत शांतिपूर्ण तरीके से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह हिंसक हो गया। सरकारी कार्यालयों में आगजनी, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें, कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाओं का बंद होना जैसी घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में नेपाल की नकारात्मक तस्वीर पेश की है। इन उग्र घटनाओं के कारण कई देशों से आने वाले पर्यटक अपनी यात्रा रद्द कर रहे हैं।
खासकर भारतीय पर्यटक सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, जिन्हें भारतीय दूतावास के सहयोग से सुरक्षित लाया गया। शुक्रवार को नौवें दिन भी नेपाल के पोखरा और काठमांडो जाने वाले भारतीय पर्यटक सड़कों पर कम ही दिखे। हालांकि, कुछ यात्री बाइक और कार से भैरहवा के आसपास के क्षेत्रों में घूमने पहुंचे।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र लुंबिनी भी इस अस्थिरता की चपेट में फंस गया है। भगवान बुद्ध के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध यह तीर्थ स्थल अक्तूबर-नवंबर में हजारों विदेशी और घरेलू पर्यटकों से गुलजार रहता है, लेकिन इस बार होटल, गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट सूने पड़े हैं।