
महराजगंज। सीएचसी परतावल में शनिवार की रात हुई डिलीवरी के बाद प्रसूता और नवजात रविवार को वार्ड में नहीं मिले। रविवार को औचक निरीक्षण के दौरान सीएमओ डॉ. श्रीकांत शुक्ल को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने गहरी नाराजगी जताते हुए महिला विंग की स्टाफ नर्स और दाइयों का वेतन रोकने व उन्हें दूसरे केंद्रों पर ट्रांसफर करने का आदेश दिया।
सीएमओ परतावल सीएचसी के औचक निरीक्षण पर पहुंचे थे। वहां भर्ती मरीजों की बीएसटी की रिपोर्ट उपलब्ध न मिलने पर उन्होंने असंतोष जताया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भर्ती मरीजों की बीएसटी न बनाना गंभीर लापरवाही है। दवाओं को खारिज या बदलने की स्थिति में बीएसटी ही आधार होता है।
इस संबंध में संबंधित कर्मियों से जवाब-तलब किया गया और निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। निरीक्षण के दौरान सीएमओ ने अस्पताल परिसर की साफ-सफाई पर भी नाराजगी जताई और व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। महिला विंग में मरीजों से सीएमओ ने की बात परतावल सीएचसी के महिला विंग में जाकर सीएमओ ने मरीजों से बातचीत की और दवाओं की उपलब्धता की स्थिति देखी। कुछ मरीजों ने शिकायत की कि कुछ दवाएं उन्हें बाहर से लानी पड़ीं। इस पर सीएमओ ने डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए कि अस्पताल में पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं। बाहर से लिखने की जरूरत नहीं है।
तीमारदार की शिकायत ने खोली पोल एक तीमारदार ने सीएमओ से शिकायत की कि बेटा के जन्म के बाद अस्पताल की एक महिला कर्मी ने दो हजार रुपये की मांग की। यहां तक कि पैसे किस-किस को देने हैं? इसकी लिस्ट भी दिखाई। तीमारदार ने बताया कि उसने मांगी गई रकम नहीं दी, बल्कि अपनी मर्जी से कुछ कर्मियों को दो-दो सौ रुपये दिए। इसी दौरान उसने यह भी बताया कि उसका बेटा पीलिया से पीड़ित है और उसे फोटो थैरेपी के लिए एनबीएसयू वार्ड में भर्ती किया गया था। लेकिन शनिवार की रात अस्पताल में बिजली नहीं थी। सोलर सिस्टम खराब था। जनरेटर भी चालू नहीं किए गए, जिससे रात भर इलाज प्रभावित रहा।
प्रसूता और नवजात की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रसव के बाद कम से कम 48 घंटे अस्पताल में देखभाल जरूरी है। दायित्व निर्वहन में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मरीजों से पैसे मांगना भी गंभीर अनियमितता है, जिस पर कार्रवाई तय है। महिला विंग के स्टाफ नर्स व दाइयों का वेतन रोकने के साथ उनका ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया है।