महराजगंज। नवरात्र के दौरान उपवास के लिए इस्तेमाल होने वाली फलाहार सामग्री की खरीदारी में सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है, क्योंकि मुनाफाखोर मिलावटखोरी से बाज नहीं आ रहे हैं। खासतौर पर सिंघाड़े और कुट्टू के आटे में मिलावट की जा रही है। पुरानी खाद्य सामग्री को नई पैकिंग में बेचा जा रहा है, जिससे उपवास रखने वालों की सेहत को खतरा हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, आटे में अरारोट और पिसा हुआ चावल मिलाकर बेचा जा रहा है, जिससे विक्रेता भारी मुनाफा कमा रहे हैं। शुद्ध सिंघाड़े और कुट्टू के आटे की कीमत 160 से 200 रुपये प्रति किलो है, लेकिन मिलावटी उत्पाद भी इसी दर पर बेचे जा रहे हैं।
इसके अलावा, देसी घी में भी बड़े पैमाने पर मिलावट हो रही है। कई गुमनाम कंपनियों के पैक्ड घी में असली देशी घी की सुगंध तक नहीं होती। गर्मी में भी यह जमा रहता है, जबकि असली घी गर्मी में पिघल जाता है। इसलिए फलाहार खरीदते समय सतर्क रहें और विश्वसनीय ब्रांड से ही खरीदारी करें।