महराजगंज। मोतियाबिंद और ग्लूकोमा दोनों आंखों की गंभीर बीमारियां हैं, जो रोशनी को प्रभावित कर सकती हैं। कई मामलों में मोतियाबिंद के कारण ग्लूकोमा विकसित हो सकता है। इसे लेंस-प्रेरित ग्लूकोमा कहा जाता है। ऐसे में मोतियाबिंद के मरीज को समय से आपरेशन कराना चाहिए। ये बातें महराजगंज के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. बीएन वर्मा ने कही।
उन्होंने बताया कि अगर मोतियाबिंद को समय पर नहीं हटाया जाता है, तो यह अति-परिपक्व होकर लेंस प्रेरित ग्लूकोमा का कारण बन सकता है। इस स्थिति में देरी करने से स्थायी दृष्टिहीनता हो सकती है। इसलिए, यदि किसी को मोतियाबिंद है और आंखों में दर्द, धुंधली दृष्टि या अन्य लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। ग्लूकोमा तीन प्रकार का होता है। पहला फाकोमॉर्फिक ग्लूकोमा, दूसरा फाकोलिटिक ग्लूकोमा और तीसरा फाकोएनाफिलेक्टिस ग्लूकोमा। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।