मेडिकल स्टोर्स पर नियमों की अनदेखी, बिना फार्मासिस्ट के चल रहीं दुकानें

महराजगंज। जिले में मेडिकल स्टोर संचालन में भारी गड़बड़ी देखने को मिल रही है। कई दुकानों का लाइसेंस तो बना है, लेकिन दुकानें कहीं और संचालित हो रही हैं, या फिर बंद पड़ी हैं। लगभग 10 फीसदी लाइसेंस ऐसे हैं जिनकी दुकानें असल में मौजूद ही नहीं हैं।

मौजूदा हालात यह हैं कि जहां लाइसेंस में चौहद्दी दर्ज है, वहां दुकानें नहीं चल रहीं। कई जगह मेडिकल स्टोर इलाज केंद्रों में बदल गए हैं, जहां अनुभवहीन केमिस्ट इलाज कर रहे हैं और मोटी फीस वसूल रहे हैं। नियम के अनुसार, दुकान के स्थान परिवर्तन की जानकारी विभाग को देना अनिवार्य है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। सूत्रों के अनुसार जिले में 100 से ज्यादा मेडिकल स्टोर नए स्थानों पर बिना आधिकारिक सूचना के संचालित हो रहे हैं।

दवा विक्रेता संगठनों के कुछ नेता भी इसी गड़बड़ी में शामिल हैं, जिनकी दुकानें दूसरी जगह शिफ्ट हो चुकी हैं, लेकिन विभाग को इसकी जानकारी नहीं दी गई। इन नेताओं ने संगठन में सक्रियता के जरिए अपनी खामियों को छिपा रखा है।

नौसिखियों के भरोसे मेडिकल स्टोर

जिले के अधिकांश मेडिकल स्टोर नौसिखियों के भरोसे चल रहे हैं। दुकानों पर टंगे लाइसेंस किसी और के नाम पर हैं, जबकि बिक्री कोई और कर रहा है। किराए पर फार्मासिस्ट मिलने से बिना प्रशिक्षण वाले लोग भी दवाओं की बिक्री कर रहे हैं, जिससे आमजन के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। कई बार औषधि निरीक्षक जांच के लिए आते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर लौट जाते हैं।

चालान जमा कर चल रही पुरानी दुकानें

जिले में करीब 3000 लाइसेंसी मेडिकल स्टोर संचालित हैं, जिनमें से 60 फीसदी से ज्यादा केवल चालान जमा कर फार्मासिस्ट के बिना ही चल रहे हैं। फार्मासिस्ट की डिग्री किराए पर लेकर दुकानों का संचालन हो रहा है। ग्राहक को पक्का बिल नहीं दिया जाता और दवा के लिफाफे पर ही कीमत लिख दी जाती है।

नशीली दवाओं की धड़ल्ले से बिक्री

सीमावर्ती इलाकों में नशीली दवाओं का अवैध धंधा भी जोरों पर है। मेडिकल स्टोर संचालक बिना डॉक्टर की पर्ची के प्रतिबंधित दवाएं बेच रहे हैं और बदले में मनमानी कीमत वसूल कर रहे हैं। मजबूरी में मरीजों को इन दुकानों से दवा खरीदनी पड़ती है।