महराजगंज। भारत-नेपाल सीमा पर चीनी तस्करी जोरों पर है। भारतीय क्षेत्र में 40-42 रुपये प्रति किलो बिकने वाली चीनी नेपाल पहुंचते ही 70-80 रुपये प्रति किलो में बेची जा रही है, जिससे तस्करों को बड़ा मुनाफा हो रहा है। ईद के मद्देनजर हाल के दिनों में चीनी की तस्करी बढ़ी है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, एक बोरी चीनी की तस्करी पर करीब 1400 रुपये का लाभ होता है। प्रतिदिन 50 से अधिक तस्कर साइकिल से 50 किलो के बोरों को पगडंडियों के रास्ते नेपाल पहुंचा रहे हैं। सोनौली सीमा के पास स्थित गलियों से कैरियर चीनी के बोरे पार कर रहे हैं। भारतीय क्षेत्र में पिकअप और अन्य वाहनों से चीनी की खेप लाई जाती है, जिसे बॉर्डर पार कराने के लिए कैरियरों को 100 से 300 रुपये तक दिए जाते हैं।
सूत्र बताते हैं कि नेपाल से सटे ठूठीबारी, माधवनगर, सोनौली, कैलासनगर, खनुवा सहित दर्जनों सीमावर्ती गांव तस्करी के प्रमुख ठिकाने बने हुए हैं, जहां चीनी डंप की जाती है और मौका मिलते ही नेपाल भेज दी जाती है। भारत सरकार द्वारा चीनी के निर्यात पर रोक लगाए जाने के कारण इसकी तस्करी तेजी से बढ़ी है।
तस्कर संगठित तरीके से काम करते हैं। नौतनवा, सोनौली, ठूठीबारी और सिसवा में चीनी की खेप मंगवाई जाती है और असली बिल के साथ सीमावर्ती गांवों तक पहुंचाई जाती है। वहां इसे गोदामों में जमा करने के बाद बिल फाड़ दिया जाता है और बिना ई-वे बिल बनाए साइकिलों से नेपाल भेजा जाता है। भारत-नेपाल की खुली सीमा पहले भी खाद्यान्न, कपड़ा, स्क्रैप और अन्य सामानों की तस्करी के लिए कुख्यात रही है।