महराजगंज। आजकल आसानी से मिलने वाले लोन के चलते चीज़ें खरीदना तो आसान हो गया है लेकिन इसकी वजह से 30 से 40 साल के युवाओं की जिंदगी घर और कार की किस्त चुकाने में बीत रही है। ऊपर से बच्चों की पढ़ाई और अन्य खर्च के दबाव में लोग मानसिक बीमार हो रहे हैं। केएमसी मेडिकल कॉलेज में आने वाले 20 फीसदी अवसाद के मरीजों में 70 फीसदी 30 से 40 साल के युवा हैं। ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
केएमसी मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 200 तक मरीज आते हैं। इनमें तनाव और अवसाद के मरीजों की संख्या 20 फीसदी होती है।
30-45 साल के मरीजों की संख्या 70 फीसदी है। इसके पीछे कार्य का दबाव, समय पर किस्त चुकाना, किराया, बच्चों की पढ़ाई, मनमाफिक वेतन-नौकरी नहीं मिलना वजह मिली। शुरुआत में चिड़चिड़ापन, गुस्सा अधिक आना, नींद कम आना और तनाव की दिक्कत बनने लगी। इससे घर में घरेलू कलह भी होने लगी। लंबे समय तक ऐसी स्थिति के बाद अवसाद हो गया। कई ऐसे भी मरीज मिले, जो दूसरों से तुलना के चलते बीमार पड़ गए। इन मरीजों के इलाज के साथ काउंसलिंग भी की गई। इससे मरीज ठीक भी हुए।
युवाओं ने दूसरों की नौकरी, मकान, कार, जीवनशैली आदि देखकर आभासी मापदंड बना लिए हैं। कई बार व्यक्ति उस क्षमता का भी नहीं होता है। इससे वह कुंठित होने लगता है। कई बार कामकाजी युवा कार्य के दबाव या फिर अधिकारी के खराब व्यवहार के चलते भी अवसाद के शिकार हो रहे हैं। इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही हैं।