Maharajganj News : मेडिकल स्टोर बन रहे मौत के नेटवर्क, खुलेआम चल रहा अवैध क्लिनिक का धंधा

    02-Nov-2025
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महराजगंज। जिले में मेडिकल स्टोर की आड़ में अवैध रूप से क्लीनिक का धंधा खूब ज़ोरों पर चल रहा है। इसमें ज्यादातर बिना लाइसेंसी मेडिकल स्टोर शामिल हैं। इन मेडिकल स्टोरों पर दवा देने के साथ ही मरीजों को बाकायदा ड्रिप तक चढ़ाया जाता है। स्थिति बिगड़ने पर कथित डॉक्टर पल्ला झाड़कर किनारे हो जाते हैं। बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई में ऐसे क्लीनिक का खुलासा हुआ था।

सूत्रों की मानें तो जिले के विभिन्न कस्बों, चौराहों और ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल स्टोर की आड़ में क्लिनिक सेंटर तेजी से फैलते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का नियंत्रण नहीं होने से इनके हौसले बुलंद हैं। पनियरा क्षेत्र के गांगी बाजार में एक मेडिकल स्टोर पर बकायदा क्लीनिक संचालित है। यहां किसी भी बीमारी के मरीजों को भर्ती कर दिया जाता है।

इसी तरह मुजुरी सतगुर बाजार के सोनार गली में मेडिकल स्टोर की आड़ में एक क्लीनिक है जहां भोले-भाले मरीजों को हर बीमारी का इलाज करने का भरोसा दिलाकर भर्ती किया जाता है। खुटहा बाजार में मेडिकल स्टोर का लाइसेंस तो है लेकिन अंदर क्लीनिक है जहां भर्ती करने और ड्रिप की सुविधा भी दी जाती है। परतावल चौराहा, सिसवा, नौतनवा, लक्ष्मीपुर, बनकटी, धानी बाजार, फरेंदा, पनियरा, श्यामदेरवा, जखिरा, घुघुली, मिठौरा, चौक, सिंदुरिया, निचलौल आदि जगहों पर भी यही स्थिति है। कई मेडिकल स्टोर दवाओं की जगह इलाज का धंधा कर रहे हैं।

इन अवैध क्लीनिक पर न तो चिकित्सक की डिग्री होती है न ही पंजीकरण। कुछ जगहों पर आठवीं पास लोग डॉक्टर बन बैठे हैं। इन झोलाछापों के पास सिर्फ दवा कंपनियों के एमआर कमीशन के लालच में दवाएं थमा जाते हैं।


शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चौक बाजार स्थित एक निजी अस्पताल पर छापा मारा, जहां मेडिकल स्टोर के नाम पर क्लीनिक चलता मिला था। एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र आर्या ने संचालक से क्लिनिक का पंजीकरण मांगा तो कोई दस्तावेज नहीं दिखाया गया तो उसे सील कर दिया।

भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में झोलाछाप की संख्या इस कदर है कि वह गांव की गलियों और चौराहों पर झोपड़ी और टीनशेड बड़े से बड़े बीमारी का इलाज कर ठीक करने का दावा करते हैं। यही कारण है कि तमाम लोग झोलाछाप के झांसे में आकर फंस जाते हैं। क्योंकि बीमारी ठीक होने के बजाय बढ़ती चली जाती है। फिर लोग मोटी रकम खर्च करने के बाद हार कर सरकारी अस्पताल या किसी बड़े डॉक्टर के पास इलाज के लिए पहुंचते हैं।

ब्याज पर रकम बांटने से लेकर भूमि को रखते हैं बंधक : सूत्रों की मानें तो झोलाछाप की कमाई इतनी मोटी है कि लोगों में ब्याज पर रकम बांटने के अलावा कृषि भूमि को भी बंधक रखते हैं। मामूली बीमारी को भी ठीक करने में झोलाछाप करीब एक सप्ताह का दिन लगा देते हैं। इन दिनों के बीच मरीजों को इलाज कर ठीक करने की दावा करते हुए मोटी रकम वसूल कर कमाई करते हैं।

पैथाॅलोजी से तय है कमीशन
क्लीनिक पर इलाज कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों को झोलाछाप पहले इंजेक्शन और दवा देते हैं। फिर तमाम प्रकार के जांच के लिए चिंह्नित पैथालाॅजी पर भेजते हैं। जहां पर पैथालाॅजी संचालक की ओर से मोटी रकम ली जाती है। फिर सप्ताह या 15 दिनों के बाद जांच के लिए भेजने वाले झोलाछाप को तय कमीशन देते हैं।