महराजगंज। त्योहारों और सहालग के बीच खिलौनों के बाजार में स्वदेशी खिलौनों की बढ़ी मांग ने खिलौना उत्पादन को लघु उद्योग की श्रेणी में खड़ा कर दिया है। जिले में खिलौनों का उत्पादन तो नहीं होता लेकिन गोरखपुर वाराणसी से तरह-तरह के खिलौने लाकर कारोबारी अपनी आजीविका चला रहे हैं।
बाजार में रिमोट सेंसिंग खिलौनों के साथ-साथ स्वदेशी सुपरहीरो छोटा भीम, इंस्पेक्टर चिंगम की छवि वाले खिलौनों की भरमार है। बाजार में 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के खिलौने बिक रहे हैं।
जिला मुख्यालय पर खिलौनों के बड़े कारोबारी बजरंगी पटवा ने बताया कि पहले खिलौनों की खेप कर्नाटक, नोएडा और नई दिल्ली से खिलौने लाने पड़ते थे। लेकिन अब स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के क्रम में गोरखपुर के शाहमाहरुफ व मियां बाजार, वाराणसी से तरह-तरह के खिलौने लाए जाते हैं।
पहले दूरी के कारण दाम अधिक थे लेकिन अब स्थानीय क्षेत्रों में उपलब्धता के कारण कम रेट पर बिक्री हो रही है। उन्होंने बताया कि इन दिनों रिमोट सेंसिंग वाले खिलौनों की मांग अधिक है। नाचने वाला बंदर-भालू, हाथी, शेर इत्यादि प्लास्टिक के खिलौने 70 से 80 रुपये में उपलब्ध हैं। पहले यह सेल से चलते थे तो काफी महंगे थे। आठ से 10 घंटे तक ही पेंसिल सेल चलती थी। लेकिन रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीकी ने स्वदेशी खिलौना बाजार सस्ता कर दिया है।
कारोबारी जगदीश ने बताया कि बच्चे अब शांत रहने वाला टैडी नहीं बल्कि कलाबाजी वाला पसंद कर रहे हैं। सुपर हीरो में बाल हनुमान, छोटा भीम, इंस्पेक्टर चिंगम की लुक वाले खिलौने 100 रुपये के भीतर मिल जा रहे हैं। प्लास्टिक की जेसीबी व 70 से 80 रुपये में उपलब्ध है।
बच्चियों को स्मार्ट व बात करने वाली गुड़िया भा रही है। बताया कि वह गोरखपुर से खिलौनों को डिमांड के मुताबिक मंगाकर जनपद में सप्लाई करते हैं। पहले के मुकाबले अब खिलौना बाजार सस्ता हुआ है और बिक्री बढ़ी है।