महराजगंज। 31 अक्तूबर से 2 नवंबर तक जिले के स्थापना दिवस पर बाहर के कारोबारियों ने खूब कमाई की। शिल्पग्राम में लगाए गए कुल 68 स्टालों ने 1.40 करोड रुपये की बिक्री की। भदोही का कालीन सर्वाधिक बिकने वाला उत्पाद बना। बनारसी साड़ी बिक्री में दूसरे तो कन्नौज का इत्र बिक्री में तीसरे नंबर पर रहा।
उद्योग विभाग की तरफ से महोत्सव की समाप्ति के बाद यह बिक्री रिपोर्ट शासन को प्रेषित की गई है।
महराजगंज महोत्सव भव्यता के साथ समाप्त हो चुका है। शुभारंभ के दिन खराब मौसम के कारण कुछ समय तक असुविधा जैसी स्थिति तो जरूर रही लेकिन फिर महोत्सव पर रंग चढ़ा तो 2 नवंबर की रात तक बना रहा। महोत्सव के शिल्पग्राम में गैर जनपद व गैर राज्य से पहुंचे कारोबारियों ने अच्छी कमाई करते हुए अपने उत्पादों की चमक बिखेरी।
महोत्सव में सर्वाधिक बिकने वाला उत्पाद भदोही का कालीन रहा। बनारसी साड़ी दूसरे और कन्नौज के इत्र व धूप बिक्री के मामले में तीसरे नंबर पर रहे। जम्मू-कश्मीर का शाल तो राजस्थान की जूती जनपद वासियों को खूब पसंद आई। महज तीन दिन में ही अच्छी कमाई कर कारोबारी लौटे हैं।
उद्योग विभाग की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, सहारनपुर की लकड़ी नक्काशी, मिर्जापुर व सीतापुर की दरी भी खूब बिकी। पड़ोसी जिला सिद्धार्थ नगर कालानमक चावल तो कुशीनगर के केला रेशा उत्पाद ने बिक्री में प्रभाव जमाया। उद्योग विभाग की तरफ से यह रिपोर्ट शासन को प्रेषित की गई है।
महोत्सव के शिल्पग्राम में 68 कारोबारियों ने स्टाल लगाकर कुल 1.40 करोड़ रुपये की बिक्री की। स्थानीय ओडीओपी फर्नीचर व आजीविका समूह के तिल लड्डू, चिक्की, अचार व कालानमक चावल का पास्ता बिक्री अधिक रही।